विदुर नीति – स्त्री, अन्न, योद्धा और तपस्वी की प्रशंसा कब करनी चाहिए
महाभारत हिंदू धर्म का महान ग्रंथ है। विद्वानों ने इसे पांचवां वेद भी कहा है। विदुर नीति भी इसी ग्रंथ का एक हिस्सा है। विदुर नीति के अंतर्गत महात्मा विदुर ने राजा धृतराष्ट्र को लाइफ मैनेजमेंट के बहुत से सूत्र बताए हैं। लाइफ मैनेजमेंट के ये सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। विदुर नीति के अनुसार जानिए जवानी निकल जाने पर कैसी स्त्री की प्रशंसा करनी चाहिए-
श्लोक
जीर्णमन्नं प्रशंसन्ति भार्या च गतयौवनाम्।।
शूरं विजितसंग्रामं गतपारं तपस्विनम्।।
अर्थ– सज्जन पुरुष पच जाने पर अन्न की, निष्कलंक जवानी निकल जाने पर स्त्री की, संग्राम जीत लेने पर योद्धा की और ज्ञान प्राप्त हो जाने पर तपस्वी की प्रशंसा करते हैं।
महात्मा विदुर के अनुसार, जिस स्त्री की जवानी बिना किसी दोष (निष्कलंक) के निकल जाए, वह प्रशंसा करने के योग्य है।
महात्मा विदुर के अनुसार, जो अन्न आसानी से पांच जाए और जिसे खाने से किसी तरह का विकार न हो, उस अन्न की प्रशंसा करनी चाहिए।
महात्मा विदुर के अनुसार, शूरवीर योद्धा के बल पर ही कोई युद्ध जीता जाता है। इसलिए युद्ध जीत लेने पर योद्धा की प्रशंसा करनी कहिए।
महात्मा विदुर के अनुसार, ज्ञान प्राप्त हो जाने पर साधारण तपस्वी भी सम्मान के योग्य हो जाता है। इसलिए उसकी प्रशंसा करनी चाहिए।