चाणक्य नीति के अनुसार सफलता पाने के लिए ये 3 काम जरूर करने चाहिए
चाणक्य नीति में सुखी और श्रेष्ठ जीवन के लिए कई बातें बताई गई हैं। इनके साथ ही चाणक्य नीति ग्रंथ में सफल होने के लिए कई तरह की नीतियां भी बताई गई हैं। आज भी इन नीतियों को ध्यान में रखकर काम किए जाए तो कई परेशानियों से बचा जा सकता हैं। वहीं जॉब, बिजनेस या अन्य मामलों में सफलता भी मिलती है। चाणक्य नीति के तेरहवें अध्याय के 19 वें श्लोक से समझा जा सकता है कि सफलता के लिए किन चीजों में हमें संतोष रखना चाहिए और किन चीजों से कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
चाणक्य नीति का श्लोक
सन्तोषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने ।
त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने तपदानयो : ।।
चाणक्य नीति में कहा है कि सफलता और तरक्की पाने के लिए इन तीन मामलों में संतुष्ट नहीं होना चाहिए
1.अध्ययन
अध्ययन यानी कोई भी चीज सीखने और पढ़ने से ज्ञान मिलता है। मनुष्य को चाहे कितना ही ज्ञान क्यों न मिल जाए, वह कभी भी संपूर्ण नहीं होता है। हमेशा सीखते रहने की इच्छा जिस इंसान में होती है वो हर जगह सफल होता है। व्यक्ति को हमेशा ही नया ज्ञान पाने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें जितना ज्यादा ज्ञान मिलता है, हमारा चरित्र उतना ही अच्छा बनता है। सही ज्ञान से जीवन की किसी भी परेशानी का हल निकाला जा सकता है। इसीलिए व्यक्ति कितना ही अध्ययन कर ले, उसे कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए।
2. जप
मंत्र जप यानी तरक्की करने के लिए बार-बार अपने लक्ष्य का जप करना चाहिए। जप करने का मतलब अपने लक्ष्य के बारे में सोचना चाहिए। इससे दिल और दिमाग में अपने लक्ष्य को पाने की इच्छाएं बनती रहती हैं और मजबूत भी होती रहती हैं। जिससे सफल होने में मदद मिलती है। लक्ष्य के बारे में बार-बार सोचने से उस तक पहुंचने के तरीके दिमाग में आते हैं। जिससे जल्दी ही सफलता मिल जाती है।
3. दान
शास्त्रों में कुछ काम हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य बताए गए हैं, दान भी उन्हीं में से एक है। दान यानी दूसरों का भला करना चाहिए। कभी मुश्किल समय आ भी जाए तो इसके प्रभाव से अन्य लोग बिना मांगे ही मदद कर देते हैं। हम कितना ही दान करें, कभी भी उसका हिसाब-किताब नहीं करना चाहिए। हमें कभी भी दान से संतुष्ट नहीं होना चाहिए, जहां भी मौका मिले पवित्र भावनाओं के साथ दान करते रहना चाहिए।
कौन थे आचार्य चाणक्य
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और अखंड भारत का निर्माण किया।
चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।